चमोली: उत्तराखण्ड वन विभाग में आये दिन हो रहें भ्रष्टाचारो की चर्चाये आम हैं,लेकिन चमोली जनपद के बद्रीनाथ वन प्रभाग में इन दिनों एक अजब ग़जब तरीक़े का भ्रष्टाचार सामने आया हैं,जिसमें पीले बांस के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए विभाग को हरी टीन का सहारा लेना पड़ा हैं।आइये आपको मामला विस्तार से समझातें हैं।
बता दें कि बिरही के पास में निज़मूला घाटी की तरफ़ जाने वाली सड़क किनारे बद्रीनाथ वन प्रभाग का अतिथि गृह हैं।जिसके एक बड़े हिस्से पर विभाग की पौधशाला भी हैं।यहीं पर साल 2023 में क़रीब 10,00000₹(दस लाख) की लागत से ईकों टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए बाँस से दो कमरों वाले (बैम्बू हट) का निर्माण किया गया था।जिसमें कि टायलेट वॉशरूम में भी बांस का ही उपयोग किया गया था।लेकिन डेढ़ साल के भीतर ही हट में लगा बैम्बू पानी से ख़राब होकर सड़ने लगा,और बीतें दिनों इसी वजह से हट की छत सड़कर क्षतिग्रस्त हो गई।जिसके बाद आनन फ़ानन में विभाग ने पीले बांस से बने बैम्बो हट के भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए तत्काल हरी टिन की शीटें बैम्बू हट के ऊपर डाल दी,लेकिन अभी भी हटो के अंदर से बिखरें बांसो को साफ़ देखा जा सकता हैं।
चमोली रैंज के वन क्षेत्राधिकारी मनोहर बिष्ट का कहना हैं कि जब बिरही में बैम्बू हटों का निर्माण हुआ तब उनकी नियुक्ति चमोली में नहीं हुई थी।लेकिन कुछ दिन पहले क्षेत्र में हुई आँधी के कारण छत की कुछ बांस ख़राब होने से बैम्बू हट की बांस से बनी छट उड़ गई,जिसके बाद विभाग के द्वारा बांस की छत के स्थान पर मज़बूत टीन की छत लगा दी गई हैं।जिसमें पानी की निकासी के लिए टीन की नाली भी बनाई गई हैं।
स्थानीय निवासी और भाजपा नेता तारा दत्त थपलियाल का कहना हैं कि पहले तो क्षेत्र में कोई इतना बड़ा आँधी तूफ़ान ही नहीं हुआ कि जिससे घरों की छते उड़ गई हों,विभाग अपनी कारस्तानी छुपाने के लिए इस तरह की बातें कर रहा हैं। बैम्बू हट में टीन का ही उपयोग होना था तो उसे टीनसैड नाम देना चाहिए था,टीनसैड का निर्माण 3 से 4 लाख के भीतर हो जाता,साथ ही सरकार का पैसा भी बचता,लेकिन सरकारी धन को ठिकाने लगाने के लिए विभाग द्वारा ठेकेदार से मिलकर बैम्बू हट में निम्न गुणवक्ता के बांस का प्रयोग किया गया,जिसका नतीजा सामने हैं,कि अब बांस के बजायें हट में टीन का उपयोग किया जा रहा हैं।बताया कि वहीं बिरही में ही अलकनंदा वन प्रभाग के बैम्बू हटो को 15 साल से अधिक का समय हो गया हैं,लेकिन उन हटों पर उपयोग हुई बांस इतने साल तक भी जस की तस हैं।