
देहरादून :13 जून 2025
रिपोर्ट:ऐश्वर्य सिंह
गढ़ी केंट स्तिथ महिंद्रा ग्राउंड में होने वाले बहुचर्चित”एग्री मित्र उत्तराखंड 2025″ मेला अचानक रद्द कर दिया गया है।करोड़ो रुपये की लगत से होने जा रहे इस आयोजन को लेकर टेंडर प्रक्रिया में भरी अनियमिताओ और गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे है। मामले ने सरकार और प्रशासन दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मेला तो रद्द कर दिया गया हो लेकिन सवाल उठ रहा है कि किसानों के नाम पर करोड़ों का बजट,किसके इशारो पर ठिकाने लगाया जा रहा था क्या अब दोषियों पर होगी कार्रवाई या मामला फिर दबा दिया जाएगा ?वही गहरी नींद से जगे कृषि विभाग के अधिकारियों ने आंतरिक जांच शुरू कर दी है।साथ ही संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलबी की जा रही है।सूत्रों के मुताबिक,यह मामला जल्द ही विधानसभा में गूंज सकता है
कृषि विभाग ने इस साल का कृषि मेला भव्य तरीके से आयोजित करने की पूरी तैयारी की थी।साथ ही देहरादून शहर को कृषि मंत्री गणेश जोशी के बड़े बड़े होर्डिंग्स से भी पार्ट दिया गया था।बताया जा रहा हैं कि आयोजन को लेकर कृषि विभाग के द्वारा करोड़ों का बजट भी पास किया गया था।लेकिन टेंडर प्रक्रिया में कथित गड़बड़ी की शिकायतें सामने आते ही विभाग ने मेले को तत्काल रद्द कर दिया।मिली जानकारी के मुताबिक टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई थी।पहले से तय फर्मों को अनुचित लाभ देने के प्रयास किया गया।कई योग्य एजेंसियों को टेंडर से बाहर करने के आरोप भी कृषि विभाग पर लग रहे थे।
सूत्रों के अनुसार,कृषि विभाग द्वारा आयोजित इस मेले के टेंडर आवंटन की प्रक्रिया 11 जून की रात 9:30 बजे पूरी होनी थी, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ग्राउंड में एक इवेंट कंपनी द्वारा तंबू लगाने काम पहले ही शुरू कर दिया गया था।09 जून को ही इवेंट कंपनी द्वारा भारी मशीनरी,श्रमिक और अन्य व्यवस्थाएं मैदान में सक्रिय कर दी गई थीं।इससे स्पष्ट होता है कि आयोजन पहले से ही तय इवेंट कंपनी को देने की मंशा से किया जा रहा था।और टेंडर प्रक्रिया महज औपचारिकता बनकर रह गई थी।घोटाले के उजागर होते ही प्रशासन को आनन-फानन में मेला रद्द करना पड़ा।मामला उजागर होने के बाद विपक्षी नेताओं और सामाजिक संगठनों ने विभाग पर जमकर निशाना साधा।कुछ संगठनों ने इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
मिली जानकारी के अनुसार यह आयोजन राज्य के कृषि मंत्री मंत्री गणेश जोशी की विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित था,लेकिन टेंडर एक नियमो को ताक पर रख कर टेंडर बाहरी इवेंट कंपनी को दे दिया गया।इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार की स्थानीय इवेंट कंपनियों और स्थानीय लोगो को प्राथमिकता देने की नीति को इस मामले में नजरअंदाज कर दिया गया है।
