भू कानून को लेकर धामी सरकार का बेख़ौफ़ कदम,नैनीताल में बाहुबली राजा भैया की ज़मीन कब्जे में..
नैनीताल: बीतें दिनों उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के द्वारा प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से सात दिनों के भीतर ऐसी जमीनों की रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के आदेश जारी कियें थें,जिनकों कि एक ही आदमी के द्वारा अपने परिवार के अलग अलग सदस्यों के नाम पर ख़रीदा गया हो।सरकार के इसी आदेश को देखते हुए प्रदेश में सश्क्त भू-कानून की प्रथम कड़ी में नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक में बड़ी कार्रवाई की है।यहाँ सरकार के आदेशों के बाद यूपी के बाहूबली नेता राजा भैया की पत्नी के नाम नैनीताल ज़िले में दर्ज 27.5 नाली ज़मीन को सरकार में निहित कर लिया गया हैं।राजा भैया की ज़मीन पर हुई कार्यवाही के बाद उन नेताओं,अफसरों और कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं,जिन्होंने उत्तराखंड के हिल स्टेशनों पर अलग अलग नामो से जमीनें ख़रीदी हुई हैं।
कैंची धाम तहसील के एसडीएम वीसी पंत ने बताया की शासन के निर्देशानुसार तहसील के क्षेत्र में खरीदी गई जमीनों की जांच की जा रही हैं।खामियां पाई जाने पर उचित कार्रवाई की भी जाएगी। कहा कि यूपी के विधायक की पत्नी के नाम की भूमि को राज्य सरकार को निहित कर दी गई है।अभियान आगें भी जारी रहेंगा।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नैनीताल जनपद स्थित बेतालघाट ब्लॉक के सिल्टोना गांव में यूपी के प्रतापगढ़ विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी भावनी सिंह के नाम पर साल 2007 से काबिज 27.5 नाली भूमि को प्रशासन की टीम द्वारा राज्य सरकार के पक्ष में निहित कर दी है।राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भूमि पर कब्जा भी प्राप्त कर लिया है।बाहुबली विधायक राजा भैय्या ने साल 2007 में बेतालघाट के सिल्टोना में अपनी पत्नी भावनी सिंह के नाम पर 27.5 नाली भूमि स्थानीय निवासी आनंद बल्लभ से खरीदी थी।
विशेष सूत्रो की मानें तो उत्तराखंड के हिल स्टेशनों में देश के राजनेताओं,उद्योगपतियों सहित बड़े बड़े अधिकारियों की कई ऐसी संपतियाँ हैं,जोकि दूसरो के नामो पर खरीदी गई हैं।नैनीताल जनपद सहित देहरादून जनपद में कई ऐसी जमीनें बताई जा रही हैं,जिनके दस्तावेजों की अगर जांच हो जायें तो सरकार के पक्ष में कई एकड़ जमीनें निहित हो जाएगी।
नैनीताल प्रशासन का कहना हैं कि भवानी देवी के नाम खरीदी गई 0.555 हैक्टियर भूमि पर लेकिन लंबे समय तक किसी प्रकार की खेतीबाड़ी संबंधी कोई भी कार्य नहीं किया गया।जिसको देखते हुए स्थानीय राजस्व उपनिरीक्षक रवि पांडेय ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के साथ जमीन का मौका मुआयना कर जेडएएलआर एक्ट 1950 की धारा 154 (4) (3) (ख) का उल्लंघन होने पर जमीन में किसी प्रकार का लंबे समय से कृषि कार्य नही होने के चलते जमीन धारा 167 के आधीन राज्य सरकार को निहित की हैं।