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मौत के मुँह से बाहर निकलकर,यात्री कह रहें,सच में यहाँ तो इंसान भी भगवान हैं..

रुद्रप्रयाग(केदारनाथ) केदारघाटी में बीती 31 जुलाई को आई भीषण आपदा के बाद 60₹की मैगी और 100₹की मिनरल वॉटर की बोतलों को लेकर यहाँ के लोगो को  कोसनें वाले तीर्थयात्रियों का नज़रिया अब यहाँ के लोगो को लेकर बदल गया हैं।एनडीआरएफ़ और एसडीआरएफ़ की मदद से मौत के मुँह से बाहर निकलने वाले यात्री यही कह रहें हैं…सच में यहाँ तो इंसान भी भगवान हैं….

फ़ोटो:आपदा में चोटिल यात्री की मरहम पट्टी करता केदारघाटी का डिप्लोमाधारी फ़ार्मासिस्ट..

घाटी में इन दिनों सड़के बंद हैं,जिससे बमुश्किल ज़रूरी खाद्यान सामग्री केदारघाटी तक पहुँच पा रही हैं।लेकिन इस आपदा की घड़ी में केदारघाटी के लोग एक कदम आगे बढ़कर रास्तों के बंद होने से फँसे यात्रियों की मदद के लिए आगे आये हैं।होटल कारोबारियों की तरफ़ से सेरसी हैलीपैड,सोनप्रयाग,सीतापुर सहित अलग अलग जगहों पर निःशुल्क भंडारो का आयोजन कर यात्रियों को भोजन करवाया जा रहा हैं।वहीं यात्रा मार्ग पर मेडिकल फ़ार्मेसी चलाने वाले युवाओ के द्वारा आपदा में चोटिल तीर्थयात्रियों का निःशुल्क उपचार और महरम पट्टी की जा रही हैं।आपदा की घड़ी में केदारवासियो के सेवा भाव से खुश होकर तीर्थयात्री अपनो से मिलने की चाह में ख़ुशी खुशी अपने घरों को लौट रहें हैं।

फ़ोटो:आपदा में फँसे यात्रियों को निःशुल्क खाना खिलाते केदारघाटी के लोग..

दूसरी तरफ़ मुनकटिया से सोनप्रयाग के बीच पहाड़ी मार्ग से आज SDRF टीम द्वारा 300 श्रद्धालुओं को रास्ता पार कराया जा चुका है,एनडीआरएफ़ के द्वारा भी आज 450 यात्रियों को निकाला जा चुका हैं,एनडीआरएफ़ के कामांडेंट सुदेश कुमार में कहा कि अभी तक 6000 तीर्थयात्रियों का सफल रेस्क्यू कर लिया गया हैं।आज भी रेस्क्यू अभियान लगातार जारी है,मौसम साफ़ रहा तो सभी यात्रियों का आज रेस्क्यू कर लिया जाएगा।

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