अब जून 2023 तक कोई भी पर्यटक नही जा पाएगा फूलों की घाटी,ज़ानिये क्यों?
शीतकाल के लिए बंद की गई फूलों की घाटी,वन विभाग का चप्पे चप्पे पर रहेगा पहरा
विश्व धरोहर फूलों की घाटी आज शीतकाल क़ो देखते हुए पर्यटकों की आवाजाही के लिए बंद कर दी गई हैं।घाँघरिया स्थित वन विभाग की चैकपोस्ट के गेट से अब किसी को भी घाटी में जानें की अनुमति नही होगी।आगामी वर्ष 2023 जून माह में ही फूलों की घाटी दोबारा पर्यटकों के दीदार के लिए खोली जाएगी।आज से फूलों की घाटी में वन विभाग के कर्मचारियों का पहरा रहेगा. ताकि घाटी में विचरण करने वाले जंगली जानवरों की शिकारियों से रक्षा की जा सके.
कोरोना काल के बाद विश्व धरोहर फूलों की घाटी में इस बार रिकॉर्डतोड़ पर्यटक पहुंचे हैं। अब तक 20,827 देशी विदेशी पर्यटक घाटी का दीदार कर चुके है, इस वर्ष घाटी मे सबसे अधिक पर्यटक आने से पिछले वर्षों के आय के सभी रिकॉर्ड टूट गए है, वन विभाग को अब तक 31,73,400 रुपए की आय प्राप्त हो चुकी है। पिछला रिकॉर्ड 2019 में 17424 पर्यटको का था।और आय 27,60,825 रूपए की थी।
फूलो की घाटी दुनियां की इकलौती जगह है जहां प्राकृतिक रूप से 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है, फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने 1932 में की थी। जब कामेट पर्वत आरोहण के बाद वह रास्ता भटक कर यहां पहुंच गए थे,रंग बिरंगे फूलों से गुलज़ार यह जगह उनको इतनी पसंद आई कि उन्होंने कुछ दिन यहां बिताए और यहां से कुछ फूलों को तोड़कर वह अपने साथ ले गए, उन्होंने वैली ऑफ फ्लावर नाम से एक किताब भी लिखी, जिसके बाद से घाटी को देश और दुनियां में पहचान मिली, फूलों को घाटी जैव विविधता का भी खजाना है, यहां पर दुर्लभतम प्रजाति के वन्य जीव जंतु, पशु पक्षी पाए जाते है इसकी जैव विविधता को देखते हुए यूनिस्कों ने 87.5 वर्ग क्षेत्रफल में फैली इस घाटी को वर्ष 2005 में विश्व धरोहर घोषित किया था।