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रुद्रप्रयाग घटना की कौन लेगा ज़िम्मेदारी ? किस पर होगा एक्शन आरटीओ पौड़ी या टिहरी!

देहरादून: रुद्रप्रयाग में आज हुई घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया हैं।घटना में अभी तक 14 लोगो की अकाल मृत्यु हो चुकी हैं,और घायलो का एम्स अस्पताल में उपचार चल रहा हैं।इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंदिर अमित शाह ने भी गहरा दुःख प्रकट करते हुए शोक संवेदना व्यक्त कर राहत राशि का भी ऐलान किया हैं।वही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी ख़ुद एम्स अस्पताल जाकर घायलों का हाल हालचाल जाना।

रुद्रप्रयाग हादसे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह का ट्वीट

नाम न छापने की शर्त पर हरिद्वार के एक ट्रैवल एजेंसी के स्वामी ने बताया कि उसके पास उत्तराखण्ड पंजीकरण नंबर की 30 टैक्सियाँ हैं,लेकिन परिवहन विभाग की मिलीभगत के चलते चारधाम यात्रा के दौरान बाहरी राज्यो के कई प्राइवेट नंबर वाहन टैक्सी के रूप में संचालित किए जाते  हैं,जिनकी चैकिंग न के बराबर होती हैं।ऐसे में टैक्सी चालकों को बड़ा नुक़सान उठाना पड़ता हैं।बाहरी नंबर वाली गाड़ियो की चैकिंग नहीं की जाती,आज अगर रास्तों में वाहनों की चैकिंग परिवहन विभाग द्वारा की जाती तो हादसा टल सकता था।

अब सवाल यह खड़ा होता हैं कि इतनी बड़ी घटना की ज़िम्मेदारी कौन लेगा? क्योंकि जो टैंपो ट्रैवलर दुर्घटनाग्रस्त हुआ वह ओवरलोड था,यह कह सकते हैं कि उस वाहन में क्षमता से अधिक सवारी बैठी हुई थी।अमूमन जो टैंपो ट्रैवलर वाहन होते हैं,उनकी सवारियो को बैठाने की क्षमता 15 से 20 के बीच होती हैं।और जो टैंपो ट्रैवलर वाहन आज दुर्घटनाग्रस्त हुआ उसमें चालक समेत कुल 26 लोग सवार थे,यानी तय क्षमता से 6 सवारी अधिक,यह टैंपो वाहन उत्तराखण्ड के कई पुलिस बैरियरो और आरटीओ चैकपोस्टों को पार करता हुआ रुद्रप्रयाग के पास पहुँचकर दुर्घटनाग्रस्त हुआ,जैसे कि ऋषिकेश में ब्रह्मपुरी की पास आरटीओ चैकपोस्ट और पुलिस की भी चैकिंग चलती हैं,वही फिर श्रीनगर में भी पौड़ी जनपद के संभागीय परिवहन अधिकारी भी यात्राकाल को लेकर चैकिंग पर रहते हैं,लेकिन ऐसे वाहनों की चैंकिंग क्यों नहीं की जाती,इस पर संदेह उत्पन्न होना स्वभाविक हैं।

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