
देहरादून(मनमीन आनंद) शहर की भीड़, बाजार की चहल-पहल, ट्रैफिक की आवाज़ों के बीच… एक इमारत खड़ी है… 85 फीट ऊंची,6 चेहरों वाली नाम हैं देहरादून का घंटाघर,जो न सिर्फ शहर की धड़कन है बल्कि इसकी पहचान इसके इतिहास का जीवंत प्रतीक है।
इस ऐतिहासिक टॉवर का निर्माण वर्ष 1948 में शुरू हुआ और 1953 में भारत के तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। इसकी आधारशिला उत्तर प्रदेश की तत्कालीन राज्यपाल और भारत कोकिला सरोजिनी नायडू ने रखी थी। यह टॉवर लाला बलबीर सिंह की स्मृति में बनवाया गया था और उनके बेटे शेर सिंह ने इसका नाम “बलबीर क्लॉक टॉवर” रखा।
यह टॉवर वास्तुकला की दृष्टि से भी खास है, इसकी बनावट षट्कोणीय है यानी छह कोणों वाली, और इसकी हर एक दिशा में एक बड़ी घड़ी लगी हुई है। इन घड़ियों को खासतौर पर स्विट्जरलैंड से मंगवाया गया था। हालाँकि पुरानी घड़ियों ने करीब दस साल पहले काम करना बंद कर दिया था, लेकिन अब नगर निगम ने इन्हें नई घड़ियों से बदल दिया है। टॉवर के शीर्ष पर लगी सुनहरी पट्टी पर भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित हैं, जो उनके त्याग और बलिदान की याद दिलाते हैं।
घंटाघर देहरादून के सबसे व्यस्त इलाके राजपुर रोड पर स्थित है, जइससे लगता हुआ देहरादून का सबसे मशहूर पल्टन बाजार भी मौजूद है। जहाँ हमेशा चहल-पहल रहती है,लोग खरीदारी करते हैं, स्ट्रीट फूड का आनंद लेते हैं और इस ऐतिहासिक धरोहर के सामने रुककर फोटो खिंचवाते हैं। देहरादून का घंटाघर केवल एक स्मारक नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और आधुनिक जीवनशैली का संगम है। यह हर उस व्यक्ति को आकर्षित करता है जो देहरादून की आत्मा को करीब से महसूस करना चाहता है।देहरादून आए और घंटाघर नहीं देखा तो क्या देखा?