अतुल्य उत्तराखंड,देश का ऐसा राज्य जंहा बग़ैर खिलाड़ियों के ही खेलें जाते हैं खेल
खेल खेल में लाखों का खेल कर गए इंडियन ओलम्पिक संघ के सचिव राजीव मेहता, फ़र्ज़ी खिलाड़ी दिखाकर हड़प लिए लाखों,शिकायत पर एफआईआर भी नही हुई दर्ज..
मामला साल 2004 का हैं,जब उत्तराखंड में पहली बार राज्य ओलम्पिक खेलों के आयोजन के लिए तत्कालीन राज्य सरकार के द्वारा कुछ शर्तों के साथ उत्तराखंड ओलंपिक एसोशियन को 15 लाख रुपए का अनुदान दिया गया था।सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के मुताबिक़ तत्कालीन उत्तराखंड ओलंपिक संघ के अध्यक्ष राजीव मेहता द्वारा राज्य सरकार द्वारा खेलों के आयोजन के लिए दी गई 15 लाख रुपए की अनुदान राशि में से 11 लाख 50 हज़ार रुपए की धनराशि अपने और अपनी पत्नी दीपा मेहता के व्यक्तिगत बैंक खाते में चैक़ द्वारा जमा किए गए।हालाँकि राजीव मेहता का कहना हैं कि उनके द्वारा ओलंपिक संघ को ऋण दिया गया था।जिसको कि उन्होंने अपने और अपनी पत्नी के खातों में वापस लिया हैं।
राजीव मेहता के जवाब के बाद अब सवाल यह खड़ा होता हैं कि उस दौरान राज्य सरकार द्वारा ख़ेलो के आयोजन के लिए दी गई 15 लाख रुपए की अनुदान राशि से खेलों का आयोजन हुआ भी या नही, यही सवाल आपके ज़ेहन में भी होगा? लेकिन जवाब दिलचस्प हैं।सूचना के अधिकार से यह भी जानकारी मिली हैं कि उस दौरान खेलों आयोजन तो हुआ,लेकिन उपयोगिता प्रमाण पत्र में जनपदों की टीमों सहित खिलाड़ी फ़र्ज़ी दर्शायें गए।उस दौरान यह खेल प्रतियोगिताए उत्तराखंड के तीन जनपदो ज़िला नैनीताल के हल्द्वानी ऊधमसिंह नगर के रूद्रपुर और देहरादून में आयोजित की गई थी।प्रतियोगिताएँ तो हुई लेकिन खिलाड़ी और टीमें काग़ज़ों तक ही सीमित रही।अब जब खिलाड़ी ही खेलने नही पहुँचे तों ये खेल खेले किसने,सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी से इसका जवाब स्पष्ट हैं कि तत्कालीन उत्तराखंड ओलंपिक संघ के चैयरमेन राजीव मेहता और उनकी पत्नी दीपा मेहता खेल खेल में यह खेल खेल गए…
क्या कहती हैं अधिकारियों की रिपोर्ट———
वर्ष 2004 में राज्य ओलंपिक संघ के तत्वावधान में आयोजित खेलों में हुए घोटालो की चर्चा जब प्रदेश के सियासी गलियारों में होने लगी तो ,देहरादून निवासी किसी व्यक्ति ने खेल विभाग में घोटालों की शिकायत दर्ज करवाई थी।शिकायत पर जब विभाग़ ने जाँच शुरू की तो कई चौंकाने वाले पहलू सामने आए।
शुरुआत क्रीड़ा विभाग चमोली द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट से
ही कर लेते हैं,जंहा क्रीड़ा विभाग चमोली ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा हैं कि वर्ष 2004 में ओलम्पिक संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में चमोली की 13 टीमों में से 5 टीमों ने प्रतिभाग ही नही किया।जबकि ओलंपिक संघ द्वारा प्रतियोगिता में चमोली की 13 टीमो को प्रतिभाग करते हुए दस्तावेज़ो में दर्शाया गया हैं।उस दौरान जिमनास्टिक संघ की रिपोर्ट के अनुसार चमोली पूरे प्रदेश से महज 15 खिलाड़ियों ने प्रतिभाग किया, जबकि उत्तराखंड ओलंपिक संघ द्वारा यंहा भी जिमनास्टिक प्रतियोगिता में 127 प्रतिभागी दर्शाए गए हैं।ऐसा ही बागेश्वर,टिहरी,पिथोरागढ़ जनपदो की टीमों की भी यही कहानी हैं।जिनकी रिपोर्ट भी उसी दौरान खेल विभाग के द्वारा सम्बंधित जनपदो के ज़िलाधिक़ारीयों को भेजी गई थी।जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से रिपोर्ट शासन तक भी पहुँची।लेकिन कार्यवाही सिर्फ़ जाँच तक ही सीमित रही।हालाँकि वित्त विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस मामले को गम्भीर वित्तीय अनिमियता बताया गया हैं।
एक बार फिर कैसे उठा मामला——
18 साल के बाद उत्तराखंड वाँलींबाल एसोसियन के सचिव और वरिष्ठ अधिवक्ता हेम पुजारी ने इस प्रकरण को उठाया हैं।जिसको लेकर सम्पूर्ण दस्तावेज़ों के साथ उन्होंने तत्कालीन उत्तराखंड ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष राजीव मेहता और उनकी पत्नी दीपा मेहता के ख़िलाफ़ वित्तीय अनियमितता को लेकर चमोली के गोपेश्वर थाने में एकआईआर दर्ज करवाने को लेकर बीते 7 सितम्बर 2022 को शिकायती पत्र दिया था। लेकिन शिकायतकर्ता एडवोकेट हेम पुजारी का कहना हैं कि मामले में अभी पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज नही की गई हैं।मसले पर शिकायत के बाद प्रकरण की जाँच कर रहे चमोली के पुलिस उपाधीक्षक अमित सैनी का कहना हैं कि मामले में जाँच चल रही हैं।जाँच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।