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चमोली में इस अस्पताल के तालों पर लगा मकड़जाल,बंद दरवाज़े के अंदर 8 सालों से क्यों सड़ रही क़ीमती दवाएँ?

चमोली(नंदानगर) पहाडो में स्वास्थ्य सेवाएँ बदहाल हैं,यह बात किसी से छुपी नहीं हैं,लेकिन चमोली में एक ऐसा भी अस्पताल हैं,जहाँ डाक्टरों की राह देखतें देखतें बंद पड़े तालों पर मकड़ों ने अपना आशियाना बना डाला हैं।ताला न खुलनें के कारण कमरें के अंदर रखी क़ीमती आयुर्वैदिक दवाईयाँ भी ख़राब हो चुकी हैं। दरअसल यहाँ बात की जा रही हैं,सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नंदानगर के परिसर में आयुर्वैदिक आयुष केंद्र की,जहाँ साल 2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से तैनात डा.अंजना परमार का तबादला गौचर होने पर आज 8 साल गुजर जाने के बावजूद भी आयुर्वैदिक आयुष केंद्र नंदानगर में किसी भी डाक्टर या फ़ार्मासिस्ट की तैनाती नहीं हुई हैं।

फ़ोटो:आयुष केंद्र का 8 साल से बंद पड़ा दरवाज़ा..

चमोली के प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी डा.अभिषेक गुप्ता ने बताया कि साल 2016 में सीएचसी नंदानगर के परिसर में स्थित आयुष विंग में तैनात डाक्टर का तबादला होने के कारण अभी तक किस वजह से नियुक्ति नहीं हो पाई,इसको लेकर शासन में अपने उच्च अधिकारियों से वार्ता की जाएगी,दवाइयाँ ख़राब होने को लेकर उन्होंने कहा ज़िला आयुर्वैदिक अधिकारी कार्यालय से उन्हें आयुष केंद्रों के लिए दवा प्राप्त होती हैं,दवा का ध्यान समय रहते आयुष विभाग को देना चाहिये था।

बता दें कि चमोली के 9 विकासखंडों में सीएचसी नंदानगर इकलौता ऐसा अस्पताल हैं,जहां आने वाले मरीजो की सुविधा हेतु आयुष आयुर्वैदिक,एलोपैथिक,होमियोपैथिक के तीन अलग अलग स्वीकृत पद और स्वास्थ्य केंद्र थें,जिसमें आयुर्वैदिक और होम्योपैथिक डाक्टर के पद एनएचएम के तहत हैं,वर्तमान में होम्योपैथिक केंद्र नंदानगर में डाक्टर हर्षवर्धन रावत तैनात हैं,एलोपैथिक में दो डाक्टरों की तैनाती हैं,लेकिन आयुर्वैदिक केंद्र में डाक्टर तैनात न होने के कारण दवा ख़राब होने के साथ साथ आयुर्वैदिक दवाओं पर आश्रित रहने वाले लोगो को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।

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