
देहरादून(पौड़ी) यूँ तो सूचना एवम् लोकसंपर्क विभाग का काम सरकारी योजनाओं,सरकारी समाचारो को पत्रकारो तक पहुँचाना और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने का हैं।इसके लिए प्रत्येक ज़िलो में सूचना विभाग ज़िले में होने वाली सरकारी बैठकों के प्रेस नोट जारी कर इस आशय से पत्रकारो को ईमेल और व्हाट्सअप ग्रुपों के ज़रिए भेजते हैं,ताकि सरकारी समाचार अख़बारों और टीवी चैनलो में प्रकाशित हो,हालाँकि अख़बार और टीवी चैनल इस तरह के प्रेस नोटों को प्रकाशित और प्रसारण करने के लिए बाध्यकारी नहीं हैं,लेकिन सूचना विभाग और पत्रकारो के आपसी सामंजस्य को देखते हुए पत्रकार सरकारी ख़बरों को अपने समाचार पत्र और टीवी चैनलो में स्थान देते हैं।

लेकिन आज पौडी ज़िले में सूचना विभाग की कारस्तानी से शहीदो का अपमान तो हुआ हैं,वही सूचना विभाग पौडी के काम करने के तरीक़े पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया हैं।कि वह शहीदो की शहादत को लेकर कितना संजीदा हैं।व्हाट्सअप ग्रुप में भेजी गई इस जानकारी से तो ऐसा प्रतीत होता हैं कि यह कोई प्रेस नोट नहीं बल्कि फ़ेसबुक पोस्ट के लिखा गया कैप्शन हो,कश्मीर के कठुआ में जहाँ आतंकियों से हुई मुडभेड में उत्तराखण्ड के पाँच जवानों के शहीद होने की खबर से पूरा देश शोक में डूबा हैं,वहीं पौड़ी जनपद के सूचना विभाग को पौडी जनपद के दो शहीदों के अंतिम संस्कार की प्रेस विज्ञप्ति तक पत्रकारों को मुहैया कराने का समय तक नहीं लगा।विभाग ने कुछ फारवर्ड फ़ोटो को आगे अपने ग्रुप में फारवर्ड करते हुए चंद लाइने लिखकर अपनी इति श्री कर दी।
विदित हो कि कश्मीर के कठुआ हमले में प्रदेश के के पांच जवान वीरगति को प्राप्त हो गए।जिसमें दो जवान टिहरी एक रुद्रप्रयाग और पौड़ी जनपद ने भी अपने दो लाल खोये।जनपद टिहरी व रुद्रप्रयाग के सूचना विभाग ने अपने काम की और खबरों की गभीरता को देखते हुए शहीदों की जौलीग्रांट एयरपोर्ट से उनके पैतृक आवास व पंच तत्व में विलीन होने तक की हर एक छोटी-बड़ी घटना को विस्तार से कवरेज दिया,लेकिन इसके उलट पौडी सूचना विभाग ने प्रेस नोट का इंट्रो छोड़,महज़ अंतिम संस्कार में मौजूद अधिकारियों की उपस्थिति को दिखाकर ही दो लाईंन के भीतर शहीदो की शहादत को सिमटा दिया।ऐसे में सूचना विभाग की यह हरकत शर्मनाक तो हैं,ही लेकिन इस हरकत से यह भी मालूम चला कि पौडी सूचना विभाग को शहीदो की शहादत से कितनी हमदर्दी हैं।